क्रमशः ... हम अपनी जिंदगी की किताब के पन्ने खुद लिखते हैं, संजोते हैं । हर कोई कुछ लिख चुका है...कुछ लिख रहा है और कुछ लिखा जाना अभी बाकी है । किताब के पूरा होने तक यह क्रम यूं ही जारी रहेगा ।
जश्न
ना बोलो तुम
ना बोलू मैं
खामोशी अपनी
कहानी कह जाए
मौसम रखता है
पाई पाई का हिसाब
हो बरसात तो
सारी सफाई हो जाए
तुम्हारे होने से
जश्न है माहौल में
तुम वाह कह
दो तो दीवाली हो जाए
दरम्या कुछ नहीं
हमारे
फिर भी, मुस्कुरा दो
तो शाम सुहानी हो जाए
उम्दा कविता मुकेश जी।
एक और मोती!!
Khoobsurat kavita👌
उम्दा कविता मुकेश जी।
जवाब देंहटाएंएक और मोती!!
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