सब ले गए तुम
सब ले गए तुम
तो यादें भी ले जाते
तारों संग मेरे रतजगे भी ले जाते
नींद जब ले ही गए तो
बातें...सपने...सूनापन भी ले जाते
खुशबू तो साथ चली गई तुम्हारे
फूल...बाग...बगीचे भी ले जाते
चौखट...खिड़की...किवाड़ सब ढूंढ़ते हैं तुम्हें
गए तो साथ अपने घर भी ले जाते
मौसम में बहार तो तुमसे ही थी
गए जब तो साथ, सावन...बारिश...बूंदे भी ले जाते
सब ले ही गए तुम
तो यादें भी ले जाते
चाहत...प्यार...परवाह सब पागलपन है
जाना ही था तो थोड़ा रूक कर चले जाते
बिछोह की मार्मिक अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंहरेक शब्द में जुदाई का दर्द समेटे, मन के सूनेपन को बयां करती एक बेहतरीन कविता।
जवाब देंहटाएंDil ko choo lene wali Kavita!
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