मोक्ष....
मेरे जलते दिये में
कुछ और बाती लगा दो
मैं खत्म हो जाना चाहता हूं
जल्द.......
तुम्हें और रोशनी दे के।
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बेकार दुनियां
बेकार है
तुम्हारी दुनियां....
वही चांद...वही सतारे
वही बादल...वही आसमान
वही अंधेरे का डर
वही सूरज का सच
कुछ भी तो नया नहीं
बेकार है
तुम्हारी दुनियां
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चांद को क्या मालूम
पूर्णिमा में भी
चांद का दीदार न हुआ
रोशनी ने पूरी रात
स्याह कर दी....
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बर्फ
पिघल रहा है
कोई हर रोज
नदी से मिलने को
बर्फ सा बैठा हूं
मैं एक छोर.....
👌👌👌👌
जवाब देंहटाएंBehtareen!!
जवाब देंहटाएंBahut khoob.....
जवाब देंहटाएंApne busy life se samay nikal kar padhne ke liye thank you ...
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जवाब देंहटाएंPadhne ke liye thank you chhotoo ji...
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएं👌👌
जवाब देंहटाएंसुपर sir
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