शनिवार, 21 सितंबर 2024

औकात चांद की

मां की हंसी पर सैंकड़ों चांद कुर्बान

तू पहला नहीं अपने पर इतराने वाला


मेरा सफर मेरे रास्तों से लंबा है

चांद कदमों में है...घर, मां से दूर


मैं खुद से अपनी बातें करता हूं

कोई दूसरा नहीं मुझे जानने वाला


ऐ चांद तुझे तेरी औकात बता देंगे 

धरती पे आ अपनी मां से मिला देंगे


चमकता बहुत है रात में तारों संग

जगो तो सूरज से सामना करा देंगे


कहानियां सब हैं झूठी तेरी

मिलो कभी तो आईना दिखा देंगे



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