मां की हंसी पर सैंकड़ों चांद कुर्बान
तू पहला नहीं अपने पर इतराने वाला
मेरा सफर मेरे रास्तों से लंबा है
चांद कदमों में है...घर, मां से दूर
मैं खुद से अपनी बातें करता हूं
कोई दूसरा नहीं मुझे जानने वाला
ऐ चांद तुझे तेरी औकात बता देंगे
धरती पे आ अपनी मां से मिला देंगे
चमकता बहुत है रात में तारों संग
जगो तो सूरज से सामना करा देंगे
कहानियां सब हैं झूठी तेरी
मिलो कभी तो आईना दिखा देंगे
चाँद भी हैरान दरिया भी परेशानी में है
जवाब देंहटाएंअक्स किस का है कि इतनी रौशनी पानी में है
बहुत अच्छी कविता मुकेश जी👌
जवाब देंहटाएंBehtareen
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