क्रमशः ... हम अपनी जिंदगी की किताब के पन्ने खुद लिखते हैं, संजोते हैं । हर कोई कुछ लिख चुका है...कुछ लिख रहा है और कुछ लिखा जाना अभी बाकी है । किताब के पूरा होने तक यह क्रम यूं ही जारी रहेगा ।
रंग तेरे प्यार का परे फीका
तो खेलूं होली
बारिश तेरी यादों की थमे
चुनरी तेरी चाहत की उतरे
सांसे तेरे नाम की हो पूरी
इंद्रधनुष तेरे नाम से छोड़े निकलना
डूबा हूं तेरे प्यार में इस कदर, निकलूं
ते खेलूं होली
स्मृतियां ही धरोहर हैं। वही निराश मन को जरूरत के मुताबिक ऊर्जा दे सकती हैं।
अच्छी कविता मुकेश जी।
स्मृतियां ही धरोहर हैं। वही निराश मन को जरूरत के मुताबिक ऊर्जा दे सकती हैं।
जवाब देंहटाएंअच्छी कविता मुकेश जी।
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