दिल्ली के बदले हालात ने मन के भीतर चल रहे कहानी के क्रम को तोड़
दिया है। कहानी थम सी गई है, मन आंखों देखी
के आगे बेबस है। जो देख रहा हूं...महसूस कर रहा हूं उसे ही क्रमशः बयां करने की
कोशिश कर रहा हूं...
1
मालपूए से लहु टपक रहा है
सेवइयां खून में सनी है,
मल कर चेहरे पर
मुफ्त का गुलाल
सियासत, होली मना रही है....
2
बजबजाती नालियों से निकल कर
अब घरों में घुसने लगे हैं कीड़े ।
नालियों में बहते इंसानी खून ने
इन्हें बेघर कर दिया है ।
3
परछाई,
नंगे की भी
पर्दे में होती है,
और...
आईना,
पर्दानशीं को भी
नंगा कर देती है।
सियासत,
परछाई है आईने की
जनता पत्थर उठाती है तो
उसे भी तोड़ देती है
4
मचा है महाभारत, इंद्रप्रस्थ में
हर तरफ अपना ही शोर है...
जनता तो ‘धृतराष्ट्र‘ है
लेकिन ‘संजय‘ रिमोट कंट्रोल्ड है
छपा है अख़बार में इश्तहार
हर चैनल को है
एक ‘संजय‘ की दरकार
शर्त है कुछ ऐसी, कि
सुने वो सबकुछ, मगर
बोले न मन की बात,
बोले तो सोचे नहीं,
बस छोड़ता रहे शब्दों के बाण
और देखे तो बस ,
मूंद ले अपनी आंख,
पहन ले चश्मा चैनल का
और बताए दुनियां का हाल...
मालपूए से लहु टपक रहा है
जवाब देंहटाएंसेवइयां खून में सनी है,
Kya khoob kaha hai ... Waah
Thank you naveen bhai.
हटाएंUltimate imagination
हटाएंबजबजाती नालियों से निकल कर
जवाब देंहटाएंअब घरों में घुसने लगे हैं कीड़े ।
नालियों में बहते इंसानी खून ने
इन्हें बेघर कर दिया है ।
भइया इस को महसूसने और इस अंदाज में कहने के लिए आभार आपका
इन मुक्तकों में कड़वी सच्चाई का यथार्थ चित्रणहै।बेहतरीकविताएँ।खबरों की दुनिया को एेसी संवेदनशीलता की सख्त जरूरत है।
जवाब देंहटाएंThank you
हटाएंइस घड़ी में इस कड़वी सच्चाई का चित्रण आँखों के सामने स्थिति का यथार्थ मंजर चित्रित करता है! काश सभी ऎसा ही महसूस करे.... और आप अपना क्रमश: .. जारी रखे। --------- किरण प्रभा
जवाब देंहटाएंThank you
हटाएंबेहतरीन कविताएँ और आज के संदर्भ में बिल्कुल सटीक..
जवाब देंहटाएंThank you
हटाएंअद्भूत चिंतन व गहरे शब्दार्थों की प्रस्तुति का यह विलक्षण सामर्थ्य भगवती माँ शारदा के साक्षात् होने के प्रमाण जैसा है।
जवाब देंहटाएंThank you..
हटाएंBehtreen
जवाब देंहटाएंThanks
हटाएंYou wrote the script ..which is actual & real...it is like civil war ..you are genious journalist.
जवाब देंहटाएंthanks...
जवाब देंहटाएंजनता का आईना है सियासत हम जैसे हैं वैसा हीं तो दिखेगा
जवाब देंहटाएंअफसोस कि हम ऐसे हीं हैं
बेहद दर्दनाक चित्रण किया है आपने
महाभारत के पात्रों का उल्लेख कर के यह जता दिया कि महाभारत आज भी उतना हीं प्रसांगिक है
क्रमशः को समय देने के लिए शुक्रिया, आप लोगों की प्रतिक्रिया ही मुझे उर्जावान बनाए रखती है।
हटाएंदर्दनाक हालात है न्यूज़ देख कर भी आंसू टपकते हैं न हिंदू न मुस्लिम सिर्फ इंसानियत शर्मसार हो रही है राजनेता अपनी रोटियां सेकने में लगे हुए हैं देखते रहो ईश्वर आपको जवाब जरूर देगा
जवाब देंहटाएंदर्दनाक हालात है न्यूज़ देख कर भी आंसू टपकते हैं न हिंदू न मुस्लिम सिर्फ इंसानियत शर्मसार हो रही है राजनेता अपनी रोटियां सेकने में लगे हुए हैं देखते रहो ईश्वर आपको जवाब जरूर देगा
जवाब देंहटाएंक्रमशः को समय देने के लिए शुक्रिया.
जवाब देंहटाएंBahut khub
जवाब देंहटाएंआपका क्रमश: सच की परछाई है, कलम की काली स्याही बड़ी सफलतापूर्वक हकीकत के हर रंग को बखूबी निखार देती है। इसलिए, इसे(क्रमश:) थमने या बेवश नहीं होने दे, बल्कि हर हालात में दृढ़ बनाए रखे। मेरी शुभ कामनाएं आपके साथ है।
जवाब देंहटाएंThank you
हटाएंScript is real situation in India.
जवाब देंहटाएंWell said Mukeshji
जवाब देंहटाएंThank you Diwakar ji
जवाब देंहटाएंWahhh।।।शानदार,आत्मीय,शब्द चयन दिखाता है कि मानवता अंतर्मन का अभी जिंदा है।
जवाब देंहटाएंThank you ...
हटाएंमचा है महाभारत, इंद्रप्रस्थ में
जवाब देंहटाएंहर तरफ अपना ही शोर है...
जनता तो ‘धृतराष्ट्र‘ है
लेकिन ‘संजय‘ रिमोट कंट्रोल्ड है.
बहुत खूब.
चार पंक्तियों में बहुत कुछ कह डाला आपने. काश! इसे लोग समझ पाते.
🙏🙏🙏🙏
हटाएंShandar lekhan
जवाब देंहटाएंबस्तियों में आग कैसे घुस गई,
जवाब देंहटाएंमोहर लगाई थी, फूल के निशान पे।
😷😷😷
हटाएंआपके कलम को सलाम..
जवाब देंहटाएंजिस बेवकी से..फिर से एक बार.. आपने समाज,सियासत और मीडिया को आईना दिखाया है उसकी तारीफ शब्दों में नहीं हो सकती।
आपको बहुत बहुत शुभकामनाएं।
🙏🙏🙏
जवाब देंहटाएंमचा है महाभारत, इंद्रप्रस्थ में
जवाब देंहटाएंहर तरफ अपना ही शोर है...
जनता तो ‘धृतराष्ट्र‘ है
लेकिन ‘संजय‘ रिमोट कंट्रोल्ड है.
वर्तमान वस्तुस्थिति का सटीक चित्रण.
Good
जवाब देंहटाएंमर्मस्पर्शी अभिव्यक्ति
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