शनिवार, 29 फ़रवरी 2020

दिल्ली दंगा


दिल्ली के बदले हालात ने मन के भीतर चल रहे कहानी के क्रम को तोड़ दिया है। कहानी थम सी गई है, मन आंखों देखी के आगे बेबस है। जो देख रहा हूं...महसूस कर रहा हूं उसे ही क्रमशः बयां करने की कोशिश कर रहा हूं...
1
मालपूए से लहु टपक रहा है
सेवइयां खून में सनी है,
मल कर चेहरे पर
मुफ्त का गुलाल
सियासत, होली मना रही है....

2
बजबजाती नालियों से निकल कर
अब घरों में घुसने लगे हैं कीड़े ।
नालियों में बहते इंसानी खून ने
इन्हें बेघर कर दिया है ।

3
परछाई,
नंगे की भी
पर्दे में होती है,
और...
आईना,
पर्दानशीं को भी
नंगा कर देती है।
सियासत,
परछाई है आईने की
जनता पत्थर उठाती है तो
उसे भी तोड़ देती है


4
मचा है महाभारत, इंद्रप्रस्थ में
हर तरफ अपना ही शोर है...
जनता तो ‘धृतराष्ट्र‘ है
लेकिन ‘संजय‘ रिमोट कंट्रोल्ड है
छपा है अख़बार में इश्तहार
हर चैनल को है
एक ‘संजय‘ की दरकार
शर्त है कुछ ऐसी, कि
सुने वो सबकुछ, मगर
बोले न मन की बात,
बोले तो सोचे नहीं,
बस छोड़ता रहे शब्दों के बाण
और देखे तो बस ,
मूंद ले अपनी आंख,
पहन ले चश्मा चैनल का
और बताए दुनियां का हाल...

39 टिप्‍पणियां:

  1. मालपूए से लहु टपक रहा है
    सेवइयां खून में सनी है,
    Kya khoob kaha hai ... Waah

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  2. बजबजाती नालियों से निकल कर
    अब घरों में घुसने लगे हैं कीड़े ।
    नालियों में बहते इंसानी खून ने
    इन्हें बेघर कर दिया है ।

    भइया इस को महसूसने और इस अंदाज में कहने के लिए आभार आपका

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  3. इन मुक्तकों में कड़वी सच्चाई का यथार्थ चित्रणहै।बेहतरीकविताएँ।खबरों की दुनिया को एेसी संवेदनशीलता की सख्त जरूरत है।

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  4. इस घड़ी में इस कड़वी सच्चाई का चित्रण आँखों के सामने स्थिति का यथार्थ मंजर चित्रित करता है! काश सभी ऎसा ही महसूस करे.... और आप अपना क्रमश: .. जारी रखे। --------- किरण प्रभा

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  5. बेहतरीन कविताएँ और आज के संदर्भ में बिल्कुल सटीक..

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  6. अद्भूत चिंतन व गहरे शब्दार्थों की प्रस्तुति का यह विलक्षण सामर्थ्य भगवती माँ शारदा के साक्षात् होने के प्रमाण जैसा है।

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  7. You wrote the script ..which is actual & real...it is like civil war ..you are genious journalist.

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  8. जनता का आईना है सियासत हम जैसे हैं वैसा हीं तो दिखेगा
    अफसोस कि हम ऐसे हीं हैं
    बेहद दर्दनाक चित्रण किया है आपने
    महाभारत के पात्रों का उल्लेख कर के यह जता दिया कि महाभारत आज भी उतना हीं प्रसांगिक है

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    1. क्रमशः को समय देने के लिए शुक्रिया, आप लोगों की प्रतिक्रिया ही मुझे उर्जावान बनाए रखती है।

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  9. दर्दनाक हालात है न्यूज़ देख कर भी आंसू टपकते हैं न हिंदू न मुस्लिम सिर्फ इंसानियत शर्मसार हो रही है राजनेता अपनी रोटियां सेकने में लगे हुए हैं देखते रहो ईश्वर आपको जवाब जरूर देगा

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  10. दर्दनाक हालात है न्यूज़ देख कर भी आंसू टपकते हैं न हिंदू न मुस्लिम सिर्फ इंसानियत शर्मसार हो रही है राजनेता अपनी रोटियां सेकने में लगे हुए हैं देखते रहो ईश्वर आपको जवाब जरूर देगा

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  11. क्रमशः को समय देने के लिए शुक्रिया.

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  12. आपका क्रमश: सच की परछाई है, कलम की काली स्याही बड़ी सफलतापूर्वक हकीकत के हर रंग को बखूबी निखार देती है। इसलिए, इसे(क्रमश:) थमने या बेवश नहीं होने दे, बल्कि हर हालात में दृढ़ बनाए रखे। मेरी शुभ कामनाएं आपके साथ है।

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  13. Wahhh।।।शानदार,आत्मीय,शब्द चयन दिखाता है कि मानवता अंतर्मन का अभी जिंदा है।

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  14. मचा है महाभारत, इंद्रप्रस्थ में
    हर तरफ अपना ही शोर है...
    जनता तो ‘धृतराष्ट्र‘ है
    लेकिन ‘संजय‘ रिमोट कंट्रोल्ड है.

    बहुत खूब.
    चार पंक्तियों में बहुत कुछ कह डाला आपने. काश! इसे लोग समझ पाते.

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  15. बस्तियों में आग कैसे घुस गई,
    मोहर लगाई थी, फूल के निशान पे।

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  16. आपके कलम को सलाम..
    जिस बेवकी से..फिर से एक बार.. आपने समाज,सियासत और मीडिया को आईना दिखाया है उसकी तारीफ शब्दों में नहीं हो सकती।
    आपको बहुत बहुत शुभकामनाएं।

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  17. मचा है महाभारत, इंद्रप्रस्थ में
    हर तरफ अपना ही शोर है...
    जनता तो ‘धृतराष्ट्र‘ है
    लेकिन ‘संजय‘ रिमोट कंट्रोल्ड है.

    वर्तमान वस्तुस्थिति का सटीक चित्रण.

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  18. मर्मस्पर्शी अभिव्यक्ति

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