रविवार, 29 सितंबर 2024

पाक़ नज़र

 

अंधों के शहर में क़ातिल मुस्कान लिए फिरते हैं

आंखवालों के शहर को श्मसान बना रखा है


हर क़त्ल में खून के निशान नहीं होते

मुस्कुरा के मार देना भी गुनाह है


हिज़ाब कारगर सजा नहीं इस गुनाह की

पर्दे के पीछे भी हमने कई क़त्ल होते देखे हैं


अनगिनत गुनाह किए हैं इस हिज़ाब ने जनाब

देखते हैं मुस्कुराते हैं और पर्दा डाल देते हैं


इस मौत से बचने का एक ही इलाज है बस

बेहिज़ाब चेहरों पर नज़रे अपनी पाक रखिए



5 टिप्‍पणियां: