अंधों के शहर में क़ातिल मुस्कान लिए फिरते हैं
आंखवालों के शहर को श्मसान बना रखा है
हर क़त्ल में खून के निशान नहीं होते
मुस्कुरा के मार देना भी गुनाह है
हिज़ाब कारगर सजा नहीं इस गुनाह की
पर्दे के पीछे भी हमने कई क़त्ल होते देखे हैं
अनगिनत गुनाह किए हैं इस हिज़ाब ने जनाब
देखते हैं मुस्कुराते हैं और पर्दा डाल देते हैं
इस मौत से बचने का एक ही इलाज है बस
बेहिज़ाब चेहरों पर नज़रे अपनी पाक रखिए
वाह जय बिहार
जवाब देंहटाएंसच्चाई से रूबरू कराते आपके शब्द 👌👌
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जवाब देंहटाएंJabardast kavita👌
अच्छी कविता, अलग अंदाज़ की 👌👌
जवाब देंहटाएंKatil ki talash honi chahiye,kha khoob katil hai 👌
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