शनिवार, 7 सितंबर 2024

दिल करता है

सूरत अपनी देख कर, सो जाने को

दिल करता है

नफरत इतनी कि आईने को चूर कर देने को

दिल करता है


सपनों की तरह टूट कर बिखर जाने को 

दिल करता है

अकेलापन इतना कि खुद से भाग जाने को

दिल करता है


तारों की बारात को लुटा देने को 

दिल करता है

गहराई इतनी कि डूब जाने को

दिल करता है


शोर कर के बच्चों को जगा देने को

दिल करता है

खामोशी ऐसी कि किस्मत पे रोने को 

दिल करता है


आंसूओं की बारिश से ज्वालामुखी बुझाने को 

दिल करता है

दहक इतनी की सब राख कर देने को

दिल करता है


1 टिप्पणी:

  1. वाह! कभी कभी लगता है कि आपको किसी बड़े साहित्यिक कार्यक्रम में भी हिस्सा लेना चाहिए ताकि आपकी वजनदार लेखनी और भी चर्चित हो।

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