राम नहीं आएंगे
मंदिर के टूटने से
टूटे नहीं थे राम
मंदिर के मलवों पर
बसते थे राम
मंदिर के अवशेषों संग
विचरते थे राम
मस्जिद भी मेरी है
कहते हैं राम
जो क्रॉस पर टंगे हैं
वो भी हैं राम
ईद भी मैं हूं
दीवाली भी मैं
यीशू भी मैं ही हूं
कहते हैं राम
अजान भी मेरी है
मंत्र भी मेरे
टुकड़े भी राम के
संपूर्ण में भी राम
पहचानो तो जानोगे
कण-कण में राम हैं
जब गए ही नहीं कहीं
तो राम आएंगे कैसे....
शाश्वत और सर्वव्यापी राम पर लिखी यह कविता भक्ति से ओत-प्रोत कर देती है।
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