गुरुवार, 1 फ़रवरी 2024

राम नहीं आएंगे

राम नहीं आएंगे

मंदिर के टूटने से

टूटे नहीं थे राम

मंदिर के मलवों पर

बसते थे राम 

मंदिर के अवशेषों संग

विचरते थे राम

मस्जिद भी मेरी है

कहते हैं राम

जो क्रॉस पर टंगे हैं

वो भी हैं राम

ईद भी मैं हूं

दीवाली भी मैं

यीशू भी मैं ही हूं 

कहते हैं राम

अजान भी मेरी है

मंत्र भी मेरे

टुकड़े भी राम के

संपूर्ण में भी राम

पहचानो तो जानोगे 

कण-कण में राम हैं

जब गए ही नहीं कहीं 

तो राम आएंगे कैसे.... 


1 टिप्पणी:

  1. शाश्वत और सर्वव्यापी राम पर लिखी यह कविता भक्ति से ओत-प्रोत कर देती है।

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