क्रमशः ...
हम अपनी जिंदगी की किताब के पन्ने खुद लिखते हैं, संजोते हैं । हर कोई कुछ लिख चुका है...कुछ लिख रहा है और कुछ लिखा जाना अभी बाकी है । किताब के पूरा होने तक यह क्रम यूं ही जारी रहेगा ।
विश्वास वह सहज उपहार है जो हर इन्सान दूसरे इन्सान को दे सकता है। जब वह फूल मुरझा जाता है तब अहसासों का बयार एक का स्पर्श लेकर दूसरे तक नहीं पहुँचता।स॔वेदनाओं के शबनम सृजन से पहले ही तिरोहित हो जाते हैं। इंसानों की प्रवृति यूॅ ही पाषाणी होती है-साहचर्य में सहयोग नहीं संघर्ष होता है।बेमानी टकराव की ओर इशारा करती बेहतरीन प्रस्तुति।
आपके सहज शब्दो की गहराई को समझना हम जैसों के लिए आसान नहीं है। पर आपकी लेखनी का शीर्षक है क्रमशः, तो मुझे ऐसा लगता है कि जो आज है वो कल बदल जायेगा,फूलों के मुरझाने और खिलने का चक्र चलता रहेगा।
उम्मीद है फिजाएं बदलेंगी, हमारी दुआओं का असर होगा
जवाब देंहटाएंफिर से कलियां आएंगी, फिर ये पत्थर मुस्कुराएंगे।
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जवाब देंहटाएंविश्वास वह सहज उपहार है जो हर इन्सान दूसरे इन्सान को दे सकता है। जब वह फूल मुरझा जाता है तब अहसासों का बयार एक का स्पर्श लेकर दूसरे तक नहीं पहुँचता।स॔वेदनाओं के शबनम सृजन से पहले ही तिरोहित हो जाते हैं। इंसानों की प्रवृति यूॅ ही पाषाणी होती है-साहचर्य में सहयोग नहीं संघर्ष होता है।बेमानी टकराव की ओर इशारा करती बेहतरीन प्रस्तुति।
ऐसा बेशकीमती फूल जिसके होने से निष्प्राण पत्थर भी जीवंत हो उठे... कोशिश होनी चाहिए ऐसे फूल को मुरझाने से बचाने की....
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना।
🙏🙏🙏
हटाएंआपके सहज शब्दो की गहराई को समझना हम जैसों के लिए आसान नहीं है। पर आपकी लेखनी का शीर्षक है क्रमशः, तो मुझे ऐसा लगता है कि जो आज है वो कल बदल जायेगा,फूलों के मुरझाने और खिलने का चक्र चलता रहेगा।
जवाब देंहटाएं🙏🙏🙏
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