क्रमशः ...
हम अपनी जिंदगी की किताब के पन्ने खुद लिखते हैं, संजोते हैं । हर कोई कुछ लिख चुका है...कुछ लिख रहा है और कुछ लिखा जाना अभी बाकी है । किताब के पूरा होने तक यह क्रम यूं ही जारी रहेगा ।
बेहतरीन अभिव्यक्ति। अनेकानेक मानव- विंब अलग-अलग रिश्तों के रूप में मन में मौजूद होते हैं। उस भीङ में कई समान रूप से महत्वपूर्ण और अनिवार्य भी होते हैं। आप मन से मन की दूरी अकेले तय करते हैं। उस राह पर किसी का हाथ थाम कर नहीं चला जा सकता । सबके साथ समीकरण अलग तो समाधान भी अलग।
अंदर का संघर्ष बड़ा या बाहर का दावानल... उत्तर ढूंढना मुश्किल है या शायद नामुमकिन। अन्तर्मन के कोलाहल की ऐसी सटीक अभिव्यक्ति, वह भी बस चंद बेहद सटीक शब्दों के माध्यम से.....आपकी लेखनी सचमुच काबिले तारीफ़ है। अगली रचना का इंतजार है।
Man ke bhav.. Prabhavshali varnan
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हटाएंबेहतरीन अभिव्यक्ति। अनेकानेक मानव- विंब अलग-अलग रिश्तों के रूप में मन में मौजूद होते हैं। उस भीङ में कई समान रूप से महत्वपूर्ण और अनिवार्य भी होते हैं। आप मन से मन की दूरी अकेले तय करते हैं। उस राह पर किसी का हाथ थाम कर नहीं चला जा सकता । सबके साथ समीकरण अलग तो समाधान भी अलग।
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हटाएंएक मन में ठसाठस और शजरों की अवधि क्या है सर
जवाब देंहटाएंअंदर का संघर्ष बड़ा या बाहर का दावानल... उत्तर ढूंढना मुश्किल है या शायद नामुमकिन।
जवाब देंहटाएंअन्तर्मन के कोलाहल की ऐसी सटीक अभिव्यक्ति, वह भी बस चंद बेहद सटीक शब्दों के माध्यम से.....आपकी लेखनी सचमुच काबिले तारीफ़ है। अगली रचना का इंतजार है।
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