रविवार, 14 फ़रवरी 2021

सीन 3

Note :पहले के दो सीन आप पढ़ चुके हैं, ब्लॉग के मुख्य पृष्ठ पर यह अभी भी मौजूद है...कहानी के क्रम को आगे बढ़ाते हुए आपके सामने है सीन 3 

सीन 3

मिशन के लिए तैयार

...बात खत्म होते-होते दोनों अंदर आ चुके थे। प्रो कर्ण का अभिवादन करने और अभिवादन स्वीकारने के बाद वो दोनों सीधे कमरे के कोने में लगे सोफे में धंस गए। प्रो के सामने बैठी अपनी पत्नियों पर उनकी नजर तो गई लेकिन ठहरी नहीं, वैसे ही जैसे भीड़ में किसी अपरिचित चेहरे पर नजर आती-जाती तो है लेकिन ठहरती नहीं। दोनों सोफे में धंस चुके थे लेकिन दो-दो नजरें उन दोनों को लगातार निहार कर भी उब नहीं रही थी,हताश और अवाक चेहरे की रंगत जब नजरों के डबडबाने से बदलने लगी तो प्रो कर्ण ने मौन तोड़ते हुए कहा आप मिल सकती हैं उनसे लेकिन ध्यान रहे कि ये वो नहीं हैं जो पहले थे।                                                                                         शाम के पांच बज चुके हैं...खिड़की से आती धूप सूरज के अस्ताचल होने का संकेत दे रही थी। गर्म कॉफी के मग से निकलती भाप डूबते सूरज के ऊपर अठखेली कर रहे थे। दोनों महिलाएं अपने-अपने पति के शरीर से मिल कर जा चुकीं थी। प्रो कर्ण के साथ दोनों की गंभीर मंत्रणा जारी थी। प्रो के लैपटॉप पर फाइलों के झुंड में शहरों की गलियों के मैप...रेलवे स्टेशन, बस स्टेशन और बड़े-बड़े शोरूम के साथ-साथ चाय की दुकान और मोचियों के लोकेशन तक को बारीकी से चस्पा किया गया था। हर एक चीज को दोनों अपनी- अपनी नजरों से स्कैन करते जा रहे थे। जब नंबर और डिजिटल बार कोड को इनकी नजरें स्कैन करती तो दूर से देखनेवालों को इनके रोबोट होने का भ्रम हो जाता। मैप डिटेल और नंबर के अलावा प्रो इन्हें दर्जनों फोटो भी दिखा रहे थे कुछ चेहरे थे कुछ गगनचुम्बी इमारतें तो कुछ हथियारों के भी।

अपने-अपने हिस्से की जिम्मेदारियों को जानने और समझने के बाद । AG और MK को प्रो. कर्ण ने कुछ कैपसूल और आधुनिक हथियार भी दिए। प्रो. कर्ण की केबिन से निकलने के बाद दोनों लिफ्ट में खड़े थे और उनके सामने के बिल्डिंग्स की खिड़कियां उपर की ओर भागती जा रही थी। पारदर्शी लिफ्ट के दरवाजे खुलने तक दोनों बिना एक दूसरे को देखे चुपचाप खड़े थे लेकिन निकलने से पहले दोनों ने एक दूसरे की आखों में देखा और फिर मशीन से बाहर आ गए। कलाइ पर बंधी हाईटेक घड़ियों ने उन्हें याद दिलाया कि उनके पास सिर्फ चार घंटे हैं उन्हें अयोध्या पहुंचना था और फिर वहां से गोधरा .....


2 टिप्‍पणियां:

  1. कहानी यथोचित प्रवाह के साथ आगे बढ़ रही है। उत्सुकता कायम रखने में अब तक कहानी सफल रही है। अग्रिम कथाअंश कथाअंशों का इंतजार है।

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