सच में
मेरी दीवार पर टंगे हैं
दर्जनों चेहरे
रोज एक पहन कर
निकल जाता हूं
मुझे बुरा कहो
मेरा यकीन भी
मत करो
किरदार में हूं अपने
सच में....
रंग
सच सफेद और झूठ काला क्यों है
ये जीवन इतना सादा क्यों है
काजल कारे...सिंदूर लाल
तो गोरे चेहरे पर आंसू सफेद क्यों हैं
समुंदर नीला, सूरज पीला और आंचल इंद्रधनुष
फिर भी जीवन, बदरंग क्यों है
रंगों से ही है रौनक
तो होली, फिर मायूस क्यों है
गुस्से का रंग लाल, प्यार का गुलाबी
तो फिर चेहरा उसका पीला क्यों है
रंगों का राज इतना गहरा क्यों हैं
दर्द
दिल से रिस कर, देह में पसर रहा है
ये दर्द है जो धीरे से, रगों में उतर रहा है
तन के चलने से उखड़ती है सांसे
दर्द ने झुकने का अदब सिखा दिया
Behtareen lines
जवाब देंहटाएंतीनों कविताएं एक से बढ़कर एक। दीवार पर टंगे चेहरे इंसानी जीवन की हकीक़त है ..एक शरीर में ना जाने कितने किरदारों को जी रहा है हर एक इंसान....
जवाब देंहटाएं😄👌👌 baht khub
जवाब देंहटाएंगहरी बात। बहुत खूब कविता।
जवाब देंहटाएंBehtarin kavitayen
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