शनिवार, 30 नवंबर 2019

मिस यू डैडी


मिस यू डैडी...

 शादी के पहले मैं अपना जन्मदिन मनाता नहीं था लेकिन शादी के बाद मेरी अर्धांगिनी ने जब मेरे जन्म की तारीख पूछी तो मैंने बता दी। फिर उस अमुक तारीख को हर वर्ष मुझे बर्थ डे विश किया जाने लगा, फिर केक...कैंडल...फूंक सब होने लगे। मैं असहज था लेकिन चुंकि आयोजन मुझे केंद्र में रख कर ही किया जाता था इसलिए मेरी कोशिश होती थी कि मेरी असहजता किसी दूसरे को असहज ना करे। सो...मैं चेहरे की असहजता पर खुशी का पोस्टर चस्पा कर विश स्वीकारना और थैंक यू...थैंक यू कहना शुरू कर दिया। शुरूआत के कुछ वर्षों तक तो ऐसा लगा जैसे दुश्मनों ने वर्षों से लंबित किसी दिवानी मुकदमे की फाइल खोल दी हो और पेशी की तारीख हर वर्ष एक ही दिन सेट कर दी हो। जहां तारीख की पेशी में मात्र हाजिरी जरूरी ना होकर जज की कही हर बात पर बिना जिरह किए, मेरा थैंक यू...थैंक यू कहना जरूरी हो। शायद इस पर्व का यही रिवाज है। लेकिन वर्षो तक इस रिवाज का पालन करने के बाद भी जो तारीख मुझे याद नहीं रहती, वहीं तारीख 2017 के बाद से मैं भूल नहीं पाता हूं। नीली छतरी वाले ने इस तारीख को मेरी जिंदगी से इस तरह जोड़ दिया कि इसे याद नहीं रखने की सारी वजह ही खत्म हो गई। तारीख याद नहीं रखने की इतनी बड़ी सजा किसी और को ना मिले। मिस यू डैडी...किसी एक दिन नहीं आप हर दिन याद आते हो।

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