शुक्रवार, 27 सितंबर 2019

विजयी भवा

 विजयी भव



 सके हाथों को बांध दिया गया था पैरों पर भी किसी मजबूत हाथों की पकड़ थी...आंखे बंद हो रही थी...धुंधली होती उसकी नजर ने बंद होने से पहले, उसके सधे हाथों में सिर्फ एक तेज हथियार देखा था, जो उसके बदन को चीरने वाली थी...लेकिन इतना सब कुछ देखने के बाद भी उसकी आंखों में कही डर का नामो निशान नहीं था, उसने उनके सामने हाथ जरूर जोड़े थे लेकिन हथियार नहीं डाले थे। संघर्ष आंख बंद होने के बाद भी जारी था...अपनी सांसों को अपने संसार से जोड़े रखने का संघर्ष...।
और लड़ाई जब सांसों के लिए होती है तो शत्रु चाहे कितना भी खतरनाक हो जिजीविषा के आगे हथियार डाल ही देती है। काया से कमजोर दिखने वाले इस राजा की जिजीविषा हिमालय से भी उंची, मजबूत और अटल है और हो भी क्यों नहीं जिसे ‘तुम्हें कुछ नहीं हो सकता‘ का ब्रह्म आशीर्वाद प्राप्त हो उसकी सांसो को छीनने की ताकत आखिर किस भुजा में हो सकती है ?
उसके हाथ खोल दिए गए हैं पैरों से वो मजबूत पकड़ भी हटा ली गई है। लोग अपने राजा के आंखे खोलने का इंतजार कर रहे हैं। हाथों में हथियार लिए जो लोग बदन को चीरने को तैयार थे उन्होंने अपना काम कर दिया है। आॅपरेशन सफल रहा है। बहुबली वापस आ गया है। विजयी भव ।

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