वो जानता है मुझको पर उसे मैं जानता नहीं हूं
यही शिकायत जमाने को मुझसे हमेशा रही है
जो करते हैं दावा जानने का सबकुछ
आईना भी उनको पहचानता नहीं है
आते हैं जाते हॅैं डूबते हैं साथ में
लेकिन कहानी सभी की अलग है
अज्ञानियों का अबूझ मेला है कुम्भ
यहां किसी को भी कोई जानता नहीं है
जिन्हें ढूंढने संगम में लगाते हो डुबकी
उन्हीं का तो कुम्भ लगा है आकाश में
वो मेरे हैं मैं उनका हूं
ये भी तो हर कोई जानता नहीं हैं
कितना मुश्किल होता है खुद को कोई चेहरा देना!
जवाब देंहटाएंTruth is omnipresent. There is no need to discover it, it is just to be realised
जवाब देंहटाएंWo mere hain mai unka hun...mere dil mai ho ye manta hun.....
जवाब देंहटाएं---- Kiran Prabha,Ranchi