बुधवार, 17 जुलाई 2024

मैं हूं


बिना देखे भी

तुम्हें

देखता हूं मैं

 

बिना सुने भी

तुम्हें

सुनता हूं मैं

 

बिना छुए भी

तुम्हें

महसूसता हूं मैं

 

तुम्हारा

न होना भी

होना है

मेरे लिए

 

तुम हो

यहीं हो

 

मेरे खालीपन में

तुम हो

 

मेरे सूनेपन में

तुम हो

 

मेरे होने में

तुम हो

 

तुम्हारे

नहीं होने में

मैं हूं...मैं हूं...मैं हूं

2 टिप्‍पणियां:

  1. मुकेश जी, क्या बोलूँ
    बस इतना ही कहूंगी की आपकी कलम पर मां सरस्वती की कृपा हमेशा बनी रहे🙏

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  2. ईश्वर इंसानों को एक दूसरे से बस भौतिक तौर पर अलग कर सकते हैं। जो हमारे हृदय के करीब है वह हमारी एहसासों में अमर रहते हैं और हमारा मार्गदर्शन भी करते रहते हैं।

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