बिना देखे भी
तुम्हें
देखता हूं मैं
बिना सुने भी
तुम्हें
सुनता हूं मैं
बिना छुए भी
तुम्हें
महसूसता हूं मैं
तुम्हारा
न होना भी
होना है
मेरे लिए
तुम हो
यहीं हो
मेरे खालीपन में
तुम हो
मेरे सूनेपन में
तुम हो
मेरे होने में
तुम हो
तुम्हारे
नहीं होने में
मैं हूं...मैं हूं...मैं हूं
मुकेश जी, क्या बोलूँ
जवाब देंहटाएंबस इतना ही कहूंगी की आपकी कलम पर मां सरस्वती की कृपा हमेशा बनी रहे🙏
ईश्वर इंसानों को एक दूसरे से बस भौतिक तौर पर अलग कर सकते हैं। जो हमारे हृदय के करीब है वह हमारी एहसासों में अमर रहते हैं और हमारा मार्गदर्शन भी करते रहते हैं।
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